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बुधवार, 7 जुलाई 2021

Introduction Of Engine | इंजन का परिचय | ITI Diesel Mechanic Theory

Introduction Of Engine | इंजन का परिचय | ITI Diesel Mechanic Theory
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका StudyWithAMC के एक और फ्रेश ब्लॉग में इस पोस्ट के माध्यम से हम लोग पढ़ने वाले हैं निम्न विषयों के बारे में - Introduction Of Engine , Classification of Engines, External Combustion Engine, Internal Combustion Engine, Main Parts Of Internal Combustion Engine, Characteristics of Internal Combustion Engine, Classification of Internal Combustion Engines, और भी इंजन से जुड़ी हुई बहुत सी बातें इस पोस्ट में देखने वाले हैं तो चलिए शुरू करें। एक बात और अब हम डीजल मैकेनिक का सीरीज शुरू कर रहें हैं तो यहां आपको रोजाना एक नए पोस्ट मिलेंगे तो आपका स्वागत है। चलिए अब मुद्दे की बात पर आते हैं।

Introduction Of Engine | इंजन का परिचय :-

दोस्तों इंजन एक यांत्रिक मशीन है जो उष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करने का कार्य करती है। यह उष्मीय इंजन (Heat Engine) का ही एक स्वरूप है जो ईंधन दहन द्वारा गैसों को फैलाकर ऊष्मा प्राप्त करता है और फिर यही ऊष्मा कार्य मे परिवर्तित हो जाती है।

इंजन कितने प्रकार के होते हैं ? | How Many Types Of Engine ?

सामान्यतः इंजन दो प्रकार के होते हैं :
1 - इन्टरनल कम्बशन इंजन
2 - एक्सटर्नल कम्बशन इंजन

इन दोनों इंजन में अंतर यह है कि, इन्टरनल कम्बशन इंजन में ईंधन कम्बशन सिलेण्डर के अंदर ही होती है जबकि एक्सटर्नल कम्बशन इंजन में दहन के लिए ब्रह्मा स्रोत का सहारा लेना पड़ता है।

इंजनों का वर्गीकरण | Classification Of Engines : 

इंजन को कार्यक्षमता या कार्य के भार, ईंधन के अनुसार कई भागों में वर्गीकृत किया गया है। नीचे इंजन का वर्गीकरण दर्शाया गया है।
एक्सटर्नल कम्बशन इंजन | External Combustion Engine :
दोस्तों ये वह ऊष्मा इंजन है जिनमे ईंधन दहन के लिए किसी बाहरी स्रोत का सहारा लिया जाता है। जो कि आप ऊपर दिए गए चित्र में देख सकते हैं। इस इंजन में बॉयलर के निचले भाग में ईंधन को जलाकर ऊष्मा उत्तपन्न की जाती है। इस ऊष्मा का प्रयोग पानी को भाप में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है।

ईंधन दहन द्वारा उत्पन्न भाप फैलकर सिलेण्डर के अंदर पिस्टन पर दबाव डालती है। इस प्रकार के इंजनों में ईंधन दहन के फलस्वरूप उत्पन्न गैसें इंजन यंत्रावली से अन्तः क्रिया करके गति एवं उपयोगी कार्य करती है।

क्योंकि इसमें दहन का कार्य अलग से होता है इस लिए ये इंजन सामान्यतः इन्टरनल कम्बशन इंजन की तुलना में अधिक बड़े होते हैं। इसका उपयोग स्टीम इंजन, ताप विधुत गृहों, कुछ रेलवे इंजनों, में किया जाता है।
नोट : रोड रोलर्स में प्रयुक्त इंजन भी इसी प्रकार के होते हैं।

इन्टरनल कम्बशन इंजन | Internal Combustion Engine : 
इस इंजन में ईंधन का दहन इंजन के सिलेण्डर के अंदर होता है। जिस कारण दहन से उत्पन्न गैसों के दाब से पिस्टन रिवर्स गति करता है। इस प्रकार के इंजनों में पिस्टन एक कनेक्टिंग रॉड से जुड़ी क्रंकशॉफ्ट घूमने लगती है। इस प्रकार ईंधन की रासायनिक ऊर्जा पहले उष्मीय ऊर्जा में और फिर यह उष्मीय ऊर्जा, यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।

जैसे :- जेट इंजन, पेट्रोल इंजन, डीजल इंजन आदि।
इस तरह के इंजनों का प्रयोग प्रायः ट्रक, मोटरगाड़ियों, ट्रैक्टर इत्यादि में किया जाता है। एक बात और कि अभी वर्तमान में टू विलर, थ्री विलर में भी किया जाता है।

इन्टरनल कम्बशन इंजन के मुख्य भाग | Main Parts Of Internal Combustion Engine

ऊपर दिए गए चित्र में एक सिंगल सिलेण्डर स्पार्क इग्निशन टाइप के इन्टरनल कम्बशन इंजन के क्रॉस सेक्शन दृश्य को दर्शाया गया है। और इंजन के मुख्य भागों को नाम के साथ बताया गया है। चित्र को अच्छी तरह से देखें और समझने का प्रयास करें।

सिलेण्डर ब्लॉक (Cylinder Block) :-  सिलेण्डर ब्लॉक अन्य विभिन्न प्रकार के अवयवों को सपोर्ट देने वाली मुख्य संरचना होती है। मल्टी सिलेण्डर इंजनों के सिलेण्डर को एक सिंगल यूनिट के रूप में निर्मित किया जाता है। सिलेण्डर ब्लॉक पर सिलेण्डर हैड को माउण्ट किया जाता है। सिलेण्डर हैड तथा सिलेण्डर ब्लॉक के साथ जल शीतलन (Water Cooling) की स्थिति में वाटर जैकेट को तथा वायु शीतलन की स्थिति में कूलिंग फिन्स को लगाया जाता है।

सिलेण्डर हैड तथा सिलेण्डर ब्लॉक के मध्य सिलेण्डर हैड गैस्केट को लगाकर कई बोल्ट अथवा स्टड के द्वारा दोनों को टाइट किया जाता है।

सिलेण्डर ब्लॉक के निचले भाग को करैंककेस कहते है। करैंकेस के निचले भाग में जोड़ा जाता है। सिलेण्डर ब्लॉक की आन्तरिक सतह जिसे मशीनिंग द्वारा शुद्धता के साथ फिनिश किया गया होता है, को बोर या फेस कहते हैं।

सिलेण्डर (Cylinder) :- जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है। यह एक बेलनाकार पात्र अथवा खाली स्थान होता है। जिसमे पिस्टन रेसी प्रोकेटिंग गति करता है। सिलेण्डर को सिलेण्डर ब्लॉक द्वारा सपोर्ट दी जाती है।

पिस्टन (Piston) :- यह एक बेलनाकार भाग होता है जो सिलेण्डर में फिट होकर कम्बशन इंजन की चालित सीमारेखा का निर्माण करता है। यह सिलेण्डर में पूर्ण रूप से फिट होकर पिस्टन रिंग तथा लुब्रिकेंट के साथ गैस टाइट स्थान बनाता है। यह गैसीय बल को आउटपुट शाफ़्ट पर ट्रांसमिट करने के लिए प्रथम लिंक बनाता है।

कम्बशन चैम्बर (Combination Chamber) :- कम्बशन प्रक्रिया के दौरान सिलेण्डर हैड तथा पिस्टन के ऊपरी भाग द्वारा घिरे सिलेण्डर के ऊपर के भाग को कम्बशन चैम्बर कहते है। कम्बशन चैम्बर में फ्यूल का दहन होता है जिससे उष्मीय ऊर्जा प्राप्त होती है। इसके फलस्वरूप सिलेण्डर के इस भाग में उच्च दाब उत्पन्न हो जाता है।

इनलेट मैनिफोल्ड (Intel Manifold) :- वह पाइप जो इनटेक सिस्टम को इंजन के इनलेट वाल्व से जोड़ता है तथा जिसमे से वायु अथवा वायु इंजन मिश्रण होकर सिलेण्डर में जाता है इनलेट मैनिफोल्ड कहलाता है।

एग्जॉस्ट मैनिफोल्ड (Exhaust Manifold) :- वह पाइप जो एग्जॉस्ट सिस्टम को इंजन के एग्जॉस्ट वाल्व से जोड़ता है तथा जिसके द्वारा दहन के पश्चात बचे उत्पाद को वातावरण में छोड़ा जाता है। एग्जॉस्ट मैनिफोल्ड कहलाता है।

इनलेट तथा एग्जॉस्ट वाल्व (Inlet and Exhaust Value) :- इसमे सामान्यतः मशरूम आकृति के पोपेट वाल्वों का प्रयोग किया जाता है। इन वाल्वों को या तो सिलेण्डर हैड पर या सिलेण्डर की साइड पर, सिलेण्डर में आने वाले चार्ज को रेगुलेट करने के लिए तथा सिलेण्डर से निकले दहन के पश्चात उत्पाद को डिस्चार्ज करने के लिए लगाया जाता है।

स्पार्क प्लग (Spark Plug) :- स्पार्क इग्निशन इंजनो में दहन को प्रारंभ करने वाला अवयव स्पार्क इग्निशन इंजनों में दहन को प्रारंभ करने वाला अवयव स्पार्क प्लग कहलाता है। यह सिलेण्डर हैड पर लगा होता है।

कनेक्टिंग रॉड (Connecting Rod) :- कनेक्टिंग रॉड के द्वारा पिस्टन तथा करेंकशॉफ्ट को परस्पर जोड़कर गैसीय बल को पिस्टन से क्रंकशॉफ्ट पर ट्रांसमिट किया जाता है। कनेक्टिंग रॉड के दो सिरे छोटा सिरा एवं बड़ा सिरा होते है। छोटा सिरा गजन पिन (Gudgeon Pin) के द्वारा पिस्टन से तथा बड़ा सिरा करैंकपिन (Crankpin) के द्वारा क्रंकशॉफ्ट से जुड़ा होता है।

करेंकशॉफ्ट (Crankshaft) :- यह पिस्टन की रेसिप्रोकेटिंग गति को आउटपुट शाफ़्ट के लिए उपयुक्त रोटरी गति में परिवर्तित करती है। सिंगल सिलेण्डर इंजन की क्रंकशॉफ्ट में एक जोड़ा क्रेंक आर्म तथा सन्तुलित भार होते है। सन्तुलित भार रोटेटिंग सिस्टम के स्थतिक व गतिक संतुलन के लिए लगाए जाते है। क्रंकशॉफ्ट करैंककेस के अंदर लगी होती है।

पिस्टन रिंग (Piston Rings) :- पिस्टन रिंग, पिस्टन के ऊपर बने स्लाटो में लगाए जाते है। इनके द्वारा सिलेण्डर एवं पिस्टन के मध्य टाइट सील उपलब्ध करायी जाती है जिससे कम्बशन गैसों के लीकेज को रोका जा सके।

गजन पिन (Gudgeon Pin) :- इसके द्वारा कनेक्टिंग रॉड के छोटे सिरे तथा पिस्टन को जोड़ा जाता है।

कैमशॉफ्ट (Camshaft) :- कैम्शॉफ्ट तथा इससे संबंधित भागों द्वारा दोनों वाल्वों के खुलने व बन्द होने को नियंत्रित किया जाता है। पुश रॉड, रॉकर आर्म, वाल्व स्प्रिंग तथा टेप्ट (Tappets) आदि कैम्शॉफ्ट से संबंधित भाग है। इस शाफ़्ट के द्वारा इग्निशन सिस्टम को ड्राइव भी उपलब्ध कराई जाती है। कैम्शॉफ्ट को टाइमिंग गियरों की सहायता से करेंकशॉफ्ट द्वारा प्रचालित किया जाता है।

कैम (Cams) :- कैम्शॉफ्ट की भाग कैम भी विभिन्न भागों का सम्मिलित रूप है। इन्हें वाल्वों को सही समय पर खोलने तथा आवश्यक अवधि तक खोले रखने के लिए डिजाइन किया जाता है।

फ्लाई व्हील (Fly Wheel) :- इंजन के प्रचालन के एक पूर्ण चक्र के दौरान करेंकशॉफ्ट को प्रदान किया गया शुद्ध टॉर्क
, शाफ़्ट के कोणीय वेग में परिवर्तन के कारण घटता बढ़ता है। एक व्हील के रूप में एक समान टॉर्क तथा जड़त्व द्रव्यमान (Intertia Mass) प्राप्त करने के लिए आउटपुट शाफ़्ट पर एक व्हील जुड़ा होता है जिसे फ्लाई व्हील कहते है।

इन्टरनल कम्बशन इंजन की विशेषताएं | Characteristics Of Internal Combustion Engine :

इन्टरनल कम्बशन इंजन की मुख्य विशेषता
● इंजनों में ईंधन का दहन, दहन कक्ष के अंदर होता है।
● इंजनों की उष्मीय ऊर्जा, यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित होती है।
● इंजन की अन्तःक्रिया को उपयोगी कार्य मे परिवर्तित किया जाता है।
● ईंधन के दहन के फलस्वरूप ऊष्मा की उत्पत्ति होती है।

इन्टरनल कम्बशन इंजनों का वर्गीकरण | Classification Of Internal Combustion Engine

इन्टरनल कम्बशन इंजन का वर्गीकरण कुछ प्रमुख आधारों पर किया गया है जो कि आप नीचे देख सकते हैं।
◆ प्रचालन चक्र के आधार पर
◆ प्रयुक्त ईंधन के आधार पर
◆ ईंधन प्रज्वलन के आधार पर
◆ स्ट्रोकों के आधार पर
◆ सिलेण्डरों की संख्या के आधार पर
◆ सिलेण्डर व्यवस्था के आधार पर
◆ इंजन चार्जिंग के आधार पर
◆ शीतलन प्रणाली के आधार पर

तो दोस्तों इस पोस्ट में हम लोगों ने इंजन से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण चीजों को समझा और जाना, और अन्य पोस्ट भी उपलब्ध है आप उसे भी जरूर पढ़ें।

नोट: इस पोस्ट में भी और लेख जोड़े जा रहें है कृपया पुनः इस पोस्ट पर आएं

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